Answered • 10 Oct 2025
Approved
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा का असली उद्देश्य चरित्र निर्माण है। उनका मानना था कि ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का होना बहुत जरूरी है। एक मजबूत चरित्र वाला व्यक्ति ही समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उन्होंने सत्य, ईमानदारी, साहस और निस्वार्थता जैसे गुणों को चरित्र का आधार बताया। उनके अनुसार, 'शिक्षा वह है जो मनुष्य को चरित्रवान बनाए'।