Answered • 21 Sep 2025
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स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को राष्ट्र की रीढ़ माना। उनका मानना था कि युवा असीम ऊर्जा और क्षमता से भरे होते हैं। उन्होंने युवाओं को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनने के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद जी ने कहा कि 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए'। उन्होंने युवाओं से आत्मनिर्भर बनने और समाज के कल्याण में योगदान देने का आग्रह किया।