Answered • 30 Aug 2025
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भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण विभिन्न समितियों की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है, जो मुख्य रूप से उपभोग व्यय पर आधारित होती हैं। इसकी मुख्य आलोचना यह है कि यह केवल कैलोरी सेवन पर ध्यान केंद्रित करती है और शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी गैर-खाद्य आवश्यकताओं को पूरी तरह से शामिल नहीं करती है। इस वजह से, कई लोग जो वास्तव में गरीब हैं, वे गरीबी रेखा से ऊपर माने जाते हैं। एक बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) का उपयोग एक अधिक सटीक माप प्रदान कर सकता है।