Answered • 31 Aug 2025
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जन्माष्टमी पर व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा स्थल को साफ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को झूले में स्थापित करें। उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराकर साफ जल से धोएं, फिर नए वस्त्र, मोरपंख, बांसुरी आदि से उनका श्रृंगार करें। रात 12 बजे के शुभ मुहूर्त में दीपक जलाकर, धूप-अगरबत्ती लगाकर आरती करें। उन्हें माखन-मिश्री, फल, पंजीरी और तुलसी दल का भोग लगाएं। इसके बाद भजन-कीर्तन करें और प्रसाद वितरित करके व्रत का पारण करें।